कालसर्प योग : (Kal Sarp Yoga)
आजकल चारो तरफ कालसर्प योग की बहुत ही चर्चा है. यदि आपका समय कुछ अच्छा नहीं चल रहा है और ऎसे में यदि आप किसी ज्योतिषी से सम्पर्क करते हैं तो अधिकतर ज्योतिषी किसी न किसी तरह से आपको कालसर्प (पूर्ण या आंशिक) योग (Half/ full Kalsarpa Yoga) से पीडित बताते हैं | सबसे पहले आपको यह जानकारी दी जाती है कि कालसर्प योग होता क्या है, किसी भी जन्मकुण्डली में यदि सूर्य से लेकर शनि ग्रह तक सातो ग्रह राहु व केतु की एक दिशा में आ जाते है तो जन्मकुण्डली कालसर्प योग से पीडित हो जाती है |
सबसे पहले हम यह जानेंगे कि कालसर्प योग की उत्पत्ति का प्रमाण किन ग्रन्थो में मिलता है. ज्योतिष की उत्पत्ति वेदो से हुई है तथा इसे वेदो का अंग (नेत्र) भी माना जाता है, किसी भी वेद, संहिता एंव पुराणो में कालसर्प नामक योग का उल्लेख नहीं मिलता, यहाँ तक कि भृगुसंहिता, पाराशर एंव रावण संहिता आदि मुख्य ग्रन्थों में भी इस योग की चर्चा तक नहीं है, अब जो महत्वपूर्ण प्रश्न सामने आता है वो यह है कि जब इस योग का विवरण किसी भी प्रामाणिक ग्रन्थ/ शास्त्र में नहीं मिलता तो फिर यह कहाँ से और कब प्रकट हुआ. खोज करने पर यह मालूम पड़ा कि 80 के दशक में इस योग का आविर्भाव दक्षिण भारत की ओर से हुआ और जिस परिश्रम के साथ इस मनघड्न्त योग पर कार्य हो रहा है तो हो सकता है कि आने वाले समय में कालसर्प नाम से कोइ ग्रन्थ भी उपलब्ध हो जाये |
अगर आपकी कुण्डली में कालसर्प योग (Kalsarp Yoga) है और इसके कारण आप भयभीत हैं तो इस भय को मन से निकाल दीजिए.कालसर्प योग से भयाक्रात होने की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि ऐसे कई उदाहरण हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि इस योग ने व्यक्तियों को सफलता की ऊँचाईयों पर पहुंचाया है.कालसर्प योग से ग्रसित होने के बावजूद बुलंदियों पर पहुंचने वाले कई जाने माने नाम हैं जैसे धीरू भाई अम्बानी, सचिन तेंदुलकर, ऋषिकेश मुखर्जी, पं. जवाहरलाल नेहरू, लता मंगेशकर आदि |
सबसे पहले हम यह जानेंगे कि कालसर्प योग की उत्पत्ति का प्रमाण किन ग्रन्थो में मिलता है. ज्योतिष की उत्पत्ति वेदो से हुई है तथा इसे वेदो का अंग (नेत्र) भी माना जाता है, किसी भी वेद, संहिता एंव पुराणो में कालसर्प नामक योग का उल्लेख नहीं मिलता, यहाँ तक कि भृगुसंहिता, पाराशर एंव रावण संहिता आदि मुख्य ग्रन्थों में भी इस योग की चर्चा तक नहीं है, अब जो महत्वपूर्ण प्रश्न सामने आता है वो यह है कि जब इस योग का विवरण किसी भी प्रामाणिक ग्रन्थ/ शास्त्र में नहीं मिलता तो फिर यह कहाँ से और कब प्रकट हुआ. खोज करने पर यह मालूम पड़ा कि 80 के दशक में इस योग का आविर्भाव दक्षिण भारत की ओर से हुआ और जिस परिश्रम के साथ इस मनघड्न्त योग पर कार्य हो रहा है तो हो सकता है कि आने वाले समय में कालसर्प नाम से कोइ ग्रन्थ भी उपलब्ध हो जाये |
अगर आपकी कुण्डली में कालसर्प योग (Kalsarp Yoga) है और इसके कारण आप भयभीत हैं तो इस भय को मन से निकाल दीजिए.कालसर्प योग से भयाक्रात होने की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि ऐसे कई उदाहरण हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि इस योग ने व्यक्तियों को सफलता की ऊँचाईयों पर पहुंचाया है.कालसर्प योग से ग्रसित होने के बावजूद बुलंदियों पर पहुंचने वाले कई जाने माने नाम हैं जैसे धीरू भाई अम्बानी, सचिन तेंदुलकर, ऋषिकेश मुखर्जी, पं. जवाहरलाल नेहरू, लता मंगेशकर आदि |
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